Wednesday, December 25, 2019

नया लाल सवेरा

तूफानो के, मौज मे डोलो,
जीवन के रस मे, खुद को घोलो।
सुनामी के, पथ को तुम रोको,
ज्वालामुखी से, रोटी सेंको।।

कुरबानी से, मत डरो तुम,
अपना झंडा, खुद गाड़ो तुम।
आग बबूला है, महाभूत पांचों,
डसते फन को, कुचल कर नांचो।।

साल ७३, आजादी के बीते,
फिर भी नोच खा रहे, लाखो चीते।
आधे भूखे है, बाकी नंगें है,
कुछ भेड़िऐ है, कुछ के इंसानी धंधें है।।

प्यासे हो, कुछ कर गुजरना है? ओस ना चाटो,
अपने जिद्द से, पहाड़ काटो।
दूर दृष्टा रखो, दृढ़ बनो, सपनो में झूमों,
आदित्य बन कर तुम, लाल सवेरा चूमों।।


आदित्य = सूरज(sun).
५ महाभूत = हवा, धरती, आग, आसमान, जल।
(Ayurveda recognizes these elements - SPACE, AIR, FIRE, WATER, and EARTH, as the building blocks of all material existence).