Monday, December 11, 2017

"बुला लोगी ना..??" (Fictional Aadi)


मैं दर्द से लिखता हूँ ज़िन्दगी के किस्से,
तुम सब दर्द उनमे से चुरा लोगी ना ..??

हवाओं के तेवर से बहुत मायूस हूँ मैं,
ये जलते दीये..ये जलते दिल..उफ़..
आंधियों से मुझको बचा लोगी ना..??

बेखबर है चाँद, सुध लेता ही नहीं हमारी,
पास तुम्हारे बेशक़ हज़ारो सितारे होंगे,
तुम मुझसे अपना दिल से बहला लोगी ना..??

सज़ा दूं अपनी सारी शायरी कदमो में तुम्हारी,
अपने पलकों पे तुम इसको उठा लोगी ना..??

यकीन है मुझको ना भुला पाओगी तुम भी,
फ़ासले जो दर्मिया है वो सब मिटा दोगी ना..??

चलता हूँ सफर के आखिरी पड़ाव के दूसरी पा मैं,
तन्हा, खामोश, एक आस के साथ बैठा हूँ,
तुम मुझको अपने जुल्फों के साये में बुला लोगी ना..??


No comments:

Post a Comment